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परंतु जब भारतीय पुरातात्विक विभाग ने इस घाटी की खुदाई की थी तब उन्हें दो पुराने शहर के बारे में पता चला था। मोहनजोदाड़ो हड़प्पा

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भारत के ब्रिटिश राज में शामिल होने के बाद ब्रिटिशो ने भारत की संस्कृति और समय पर काफी अत्याचार भी किये। वे भारत से कई बहुमूल्य चीजे ले गए। उन्होंने एक अखंड भारत का विभाजन टुकडो में कर दिया था। और जहाँ पर राजाओ का शासनकाल था उन भागो को भी उन्होंने उनपर आक्रमण कर हथिया लिया था। वे भारत से कई बहुमूल्य चीजे ले गए थे जिनमे भारत का कोहिनूर हिरा भी शामिल है।

विजयनगर साम्राज्य का उदय: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर तथा बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी। यह उस समय का एकमात्र हिन्दू राज्य था जिस पर अल्लाउदीन खिलजी ने आक्रमण किया था। जिसके बाद हरिहर और बुक्का ने मुस्लिम धर्म अपना लिया। 

भारतीय इतिहास, एक दृष्टि (गूगल पुस्तक ल; लेखक - डॉ ज्योतिप्रसाद जैन)

अन्य बौद्ध ग्रंथ : लंका के इतिवृत्त महावंस और दीपवंस भी भारत के इतिहास पर प्रकाश डालते हैं। महावंस, दीपवंस व महाबोधिवंस तथा महावस्तु मौर्यकाल के इतिहास की जानकारी देते हैं। दीपवंस की रचना चौथी और महावंस की पाँचवी शताब्दी ई. में हुई। मिलिंदपन्हो में यूनानी शासक मिनेंडर और बौद्ध मिक्षु नागसेन का वार्तालाप है। इसमें ईसा की पहली दो शताब्दियों के उत्तर-पश्चिमी भारत के जीवन की झलक मिलती है। दिव्यावदान में अनेक राजाओं की कथाएँ हैं जिनके अनेक अंश चौथी शताब्दी ई.

प्राचीन भारत का इतिहास पाषाण युग से लेकर इस्लामी click here आक्रमणों तक है। इस्लामी आक्रमण के बाद भारत में मध्यकालीन भारत की शरुआत हो जाती है। प्राचीन भारतीय इतिहास का घटनाक्रम

विश्व इतिहास बहुत बड़ा है, इसका संक्षिप्त कालक्रम इतिहास इस प्रकार है–

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पू. है। आर्यो के मूल निवास के सन्दर्भ में सर्वाधिक प्रमाणिक मत आल्पस पर्व के पूर्वी भाग में स्थित यूरेशिया का है। वर्तमान समय में मैक्सूमूलन ने मत स्वीकार्य हैं।

मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार पेश किया गया था

छत्रपति शिवाजी – संघर्ष एवं उपलब्धियाँ

सुदूर दक्षिण भारत के जन-जीवन पर ईसा की पहली दो शताब्दियों में लिखे गये संगम साहित्य से स्पष्ट प्रकाश पड़ता है। दक्षिण भारत में भी राजकवियों ने अपने संरक्षकों की उपलब्धियों का वर्णन करने के लिये कुछ जीवनचरित लिखे। ऐसे ग्रंथों में ‘नंदिवकलाम्बकम्’, ओट्टक्तूतन का ‘कुलोत्तुंगज-पिललैत्त मिल’, जयगोंडार का ‘कलिंगत्तुंधरणि’, ‘राज-राज-शौलन-उला’ और ‘चोलवंश चरितम्’ प्रमुख हैं।

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